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प्रतिभूतियों में ऑनलाइन ट्रेडिंग क्या है?

प्रतिभूतियों में ऑनलाइन ट्रेडिंग ऐसी सुविधा है जिसमें निवेशक ट्रेडिंग मेम्बर अर्थात दलाल (ब्रोकर) द्वारा ऑफर इंटरनेट ट्रेडिंग प्लैटफॉर्म के माध्यम से अपने ऑर्डर दे सकतें है। निवेशक द्वारा इंटरनेट के उपयोग से दिए गए ऐसे ऑर्डर का रूटिंग ट्रेडिंग मेम्बर मार्फत होता है।

ऑनलाइन ट्रेडिंग कैसे शुरू किया जा सकता है?

सबसे पहले, निवेशक को इंटरनेट ट्रेडिंग सुविधा ऑफर करनेवाले ट्रेडिंग मेम्बर का चयन करना होगा और इंटरनेट ट्रेडिंग की सुविधा के उपयोग के लिए ट्रेडिंग मेम्बर के साथ पंजीकरण करना होगा।

कई बड़े और मध्यम दर्जा दलाल इंटरनेट ट्रेडिंग सुविधा उपलब्ध करातें है। निवेशक ट्रेडिंग मेम्बर का विवरण एक्सचेंज की वेबसाइट www.nseindia.com से प्राप्त कर सकतें है। उनका संदर्भ वित्तीय बाज़ार की जानकार व्यक्तियों से प्राप्त किया जा सकता है और चयन निवेशक को अपेक्षित सभी सेवा की आपूर्ति करने की क्षमता तथा साख रखनेवाले का करें। दलाल का चयन करने के समय निवेशक किसी भी तकनिकी समस्या पर आधार मुहैया करनेवाले पर विशेष ध्यान दें।

आमतौर पर कंप्यूटर के उपयोग से परिचित, इंटरनेट के उपयोग में माहिर और व्यक्तिगत कंप्यूटर्स के उपयोग से जुड़ी आम समस्याएं हल करने में सक्षम व्यक्ति ऑनलाइन ट्रेडिंग का विकल्प अपना सकता है।

सेबी व एक्सचेंज के नियमानुसार केवायसी के सामान्य दस्तावेज के निष्पादन उपरांत इंटरनेट ट्रेडिंग के लिए निर्दिष्ट सदस्य-ग्राहक समझौता (मेम्बर-क्लायंट एग्रीमेन्ट) अमली बनाना होता है। जिसमे, ट्रेडिंग मेम्बर और ग्राहक के अधिकार एवं दायित्व की विस्तृत सूचना के उपरांत सिस्टम संबंधी जोखिम, यूज़र्स आईडी और पासवर्ड गोपनीयता की चेतावनी शामिल होती है।

इसके उपरांत, डीपी कामकाज के लिए पॉवर ऑफ़ एटॉर्नी, डीपी अकाउंट और बैंक अकाउंट आदि खोलने जैसे अन्य दस्तावेजों के निष्पादन के लिए सदस्य और ग्राहक परस्पर सहमत हो सकतें है।

निवेशक को सावधानी बर्तनी चाहिए कि:

  1. दलाल द्वारा मुहैया कराए गए डिफ़ॉल्ट पासवर्ड को ऑर्डर देने से पहले बदले।
  2. पासवर्ड अन्य किसी को साझा न करें। आवधिक अंतराल पर (समय समय पर) पासवर्ड बदलें।
  3. उसने ऑनलाइन ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर का प्रचालन कैसे करना है, का तरीका समझा है।
  4. उसने सॉफ्टवेयर के उपयोग की पर्याप्त तालीम प्राप्त की है।
  5. ऑर्डर सुपुर्द करने के बाद सिस्टम में ऑर्डर और सौदा पुष्टि की सुविधा होती है।

प्रत्येक ऑनलाइन ट्रेडिंग करनेवाले ग्राहक को समझ लेना चाहिए कि सिस्टम विफल होने की संभावना होती है। जिसमें विविध बिन्दु पर नैटवर्क की विफलता, कनेक्टिविटी की विफलता आदि सहित विफलता का समावेश होता है।

इस प्रकार की संभावित विफलता में निवेशकों की सेवा के लिए आमतौर पर ट्रेडिंग मेम्बर के पास वैकल्पिक व्यवस्था होती है। ऐसी विफलत्ता से होनेवाले जोखिम को टालने के लिए निवेशक को ट्रेडिंग शुरू करने पूर्व विफलता से निपटने निवेशक को जो लेने है ऐसे खुद की पोज़िशन की जानकारी, पोज़िशन बंद करना जैसे जरूरी कदम उठाने के तरीकों को ट्रेडिंग मेम्बर से समझ लेना चाहिए।

  1. साझा पीसी (पर्सनल कंप्यूटर) / सायबर कॅफे मार्फत ऑर्डर देने से दूर रहें।
  2. ट्रेडिंग हो जाने के बाद दुरपयोग रोकने के लिए लॉगआउट करें।
  3. गैरनियमित स्थल से साईनिंग ऑन में “रिमेम्बर मी” विकल्प पर क्लिक न करना सुनिश्चित करें।
  4. ट्रेडिंग सिस्टम पर “साईंन ऑन”करने के बाद टर्मिनल अरक्षित न छोड़ें।
  5. फायरवॉल और एंटी-वायरस सलूशंस के उपयोग द्वारा वायरस के खिलाफ अपने पर्सनल कंप्यूटर की सुरक्षा करें।
  6. आप अन्जान व्यक्ति से ई-मेल अटैचमेन्ट न खुलवाएं।

सौदा करने के दौरान निवेशक को लगातार सुनिश्चित करना है कि ट्रेडिंग मेम्बर के पास उसके एकाउंट में पर्याप्त राशि (फंड) और प्रतिभूतियाँ उपलब्ध हो और वह मार्जिन्स के भुगतान में नियमित हो, ताकि ट्रेडिंग मेम्बर द्वारा एकाउंट पर रोक न लगाई जाए। जहाँ मार्जिन या फंड की कमी के कारण भुगतान नहीं किया जाता है वहाँ ट्रेडिंग मेम्बर एकाउंट पर रोक लगाकर खड़े सौदे (पोज़िशन) बराबर करता है या प्रतिभूतियों की बिक्री करता है, ऐसे बराबर किए गए सौदों, प्रतिभूतियों की बिक्री संबंधी जानकारी निवेशक को ट्रेडिंग मेम्बर से मिल सकती है।

एक्सचेंज पर किए गए प्रत्येक सौदे के लिए ट्रेडिंग मेम्बर द्वारा सौदे के निष्पादन की तारीख से 24 घंटे के अंदर कॉन्ट्रैक्ट नोट जारी करना जरूरी है। आमतौर पर, इंटरनेट आधारित निवेशक डिजिटल कॉन्ट्रैक्ट नोट का विकल्प अपनाता है। अतः ग्राहक पंजीकरण (क्लायन्ट रजिस्ट्रेशन) के समय निवेशक को नियमित उपयोग में लिए जानेवाले ई-मेल आईडी की जानकारी देनी होगी। यदि निवेशक फ़िज़िकल कॉन्ट्रैक्ट नोट चाहता हो तो ग्राहक पंजीकरण दस्तावेज {क्लायन्ट रजिस्ट्रेशन डॉक्युमेन्ट} में ऐसा उल्लेख करके ई-मेल आईडी की कॉलम काटनी होगी।

निवेशक द्वारा कॉन्ट्रैक्ट नोट की नियमित जांच आवश्यक है और सौदों में यदि कोई फर्क नजर आएं तो मुद्दा तत्काल ट्रेडिंग मेम्बर के साथ उठा लेना जरूरी है।

कॉन्ट्रैक्ट नोट के उपरांत, ट्रेडिंग मेम्बर द्वारा निवेशक को फंड और प्रतिभूतियों का तिमाही विवरंणपत्र जारी करना जरूरी है और यदि निवेशक ने डिजिटल दस्तावेज का विक्लप अपनाया है तो ऐसा विवरंणपत्र डिजिटली जारी करना होगा।

प्रतिभूतियों में ऑनलाइन ट्रेडिंग क्या है?

प्रतिभूतियों में ऑनलाइन ट्रेडिंग ऐसी सुविधा है जिसमें निवेशक ट्रेडिंग मेम्बर अर्थात दलाल (ब्रोकर) द्वारा ऑफर इंटरनेट ट्रेडिंग प्लैटफॉर्म के जरिए अपने ऑर्डर दे सकतें है। निवेशक द्वारा इंटरनेट के उपयोग से दिए गए ऐसे ऑर्डर का रूटिंग ट्रेडिंग मेम्बर मार्फत होता है।

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Direct Market Access (DMA) facility through Computer to Computer Link (CTCL) allows members to provide direct trading terminals to Institutional clients through available modes of connectivity, thereby providing Institutional clients faster access to markets. To facilitate faster access, trading members providing DMA facilities opt for Co-Location facilities provided by the exchange, to facilitate low latency and fast execution.

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For institutional clients and other sophisticated traders, NSE provides support for algorithmic trading through our co-location facilities, consisting of rented rack space for servers inside the Exchange premises.

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  • FPIs can participate as a client only.
  • Trading through single or multiple TMs.
  • KYC formalities to be done with the TM.
  • Trading and Exchange risk management procedures are similar to Equity F&O segment.
  • Colocation and DMA facilities available to FPIs.
  • They can have a single clearing member.
  • CM–CP Agreement executed with the CM to get CP Code.
  • New FPIs will need to register as a client with their Trading Member(s) of choice and request for a CP code through their Custodian.
  • Simplified Registration process for FPI’s
  • Submit Annexure 4 document and mention their custodian
  • An email ID and password will be generated
  • They can login and report deals
  • Auto trade confirmation facility
  • Facility to buyer reporting, if seller is FPI’s
  • Option to brokers for seamless transfer of trades to CBRICS
Updated on: 22/05/2024