राइट इश्यू
कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 62(1) किसी कंपनी द्वारा शेयर पूंजी जमा करने कार्यक्रम आगे जारी रखने का प्रावधान करती है। कंपनी नए शेयर जारी करके अपनी सब्सक्राइब्ड पूंजी बढ़ाने का प्रस्ताव करती है। ऐसे शेयरों को प्रस्ताव की तारीख पर मौजूदा शेयरधारकों को उनके शेयर अनुपात में पेश किया जाता है। इसके लिए राइट शेयर जारी करने वाली कंपनी की तरफ से निम्नलिखित शर्तों के अधीन प्रस्ताव पत्र भेजा जाता है।
इसका उद्देश्य निश्चित रूप से, शेयरों का समान वितरण सुनिश्चित करना है और नए शेयरों के जारी होने से मतदान के अधिकार का अनुपात भी प्रभावित नहीं होता है।
जब किसी जारीकर्ता द्वारा अपने मौजूदा शेयरधारकों को शेयरों या परिवर्तनीय प्रतिभूतियों का निर्गम एक निर्धारित विशेष तिथि (यानी रिकॉर्ड तिथि) पर किया जाता है, तो इसे राइट्स इश्यू कहा जाता है।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपने हालिया SEBI/HO/CFD/DIL2/CIR/P/2020/13 दिनांक 22 जनवरी, 2020 के जरिए राइट्स इश्यू प्रक्रिया को सेबी (पूंजी और प्रकटीकरण आवश्यकताएँ जारी करना) विनियम, 2018 ("आईसीडीआर विनियम") और सेबी (सूचीबद्धता दायित्व और प्रकटीकरण आवश्यकताएँ) विनियम, 2015 ("एलओडीआर विनियम") में संशोधन करके और अधिक कुशल और प्रभावी बनाने का प्रयास किया है। । तदनुसार, राइट्स इश्यू प्रक्रिया के संबंध में निम्नलिखित परिवर्तन किए गए हैं। इसने अग्रिम सूचना अवधि को 7 दिनों से घटाकर 3 कार्य दिवसों तक कर दिया है और जारीकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वे प्रेषण पूरा होने की तारीख का खुलासा करने वाले विज्ञापन समाचार पत्रों में प्रकाशित करायें और अपनी वेबसाइटों पर प्रसार के लिए स्टॉक एक्सचेंजों को इसकी सूचना दें। परिपत्र में अनुबंध 1 के तहत "डीमटेरियलाइज्ड राइट्स एंटाइटेलमेंट्स (आरई) का परिचय" और "राइट्स इश्यू प्रक्रिया पर प्रक्रियाएं" भी शामिल हैं।
सेबी परिपत्र डाउनलोड करें (.pdf)
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